◆ 1.5 लाख की लीड से जीते भगवंत मान
◆ ज्यादातर आप उम्मीदवारों की हुई जमानतें जब्त
◆ आप बताइए क्या करना चाहिए आप को मैदान में बने रहने के लिए
पंजाब :- 19 मई को हुए लोकसभा चुनाव का नतीजा 23 मई को घोषित किया गया, जिसमें सभी पार्टियोंं के दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई थी, वही पूरे पंजाब की निगाह आम आदमी पार्टी की संगरूर सीट पर थी क्योंकि संगरूर सीट पर पंजाब के लोकप्रिय कॉमेडी कलाकार व अदाकार भगवंत मान उम्मीदवार थे, जो पिछली बार केे सांसद भी हैं। भगवंत मान ने इस सीट पर धमाकेदार जीत के साथ विरोधियोंं के मुंह बंद कर दिए हैं।
1.5 लाख वोटों से जीते भगवंत मान
पूर्व प्रफेशनल कमीडियन भगवंत मान पंजाब की संगरूर सीट से चुनावी मैदान में थे। यहां उन्होंने कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लों को 110211 वोटों से हराया है। पंजाब की बाकी किसी सीट पर आम दूसरे नंबर पर भी नहीं रही।आम आदमी पार्टी तिनका तिनका कर बिखरी
2014 में 4 लोकसभा और 2017 में 20 विधानसभा सीटों पर जीत के साथ पंजाब में धमाकेदार एंट्री मारने वाली आम आदमी पार्टी का 'मान' 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब के मान भगवंत मान ने बचा लिया। संगरूर से भगवंत मान को छोड़कर पार्टी के कई उम्मीदवार तो अपनी जमानत तक बचाने में कामयाब नहीं हो सके। मान ने एक लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की।
आम आदमी पार्टी की वोट प्रतिशतता
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 7.4 फीसदी वोट मिले, जबकि बात करें 2014 की तो उस समय आप ने 24.4% वोट हासिल किए थे। वहीं, अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो पार्टी का वोट शेयर 23.72 फीसदी रहा है। सुनने में तो ये भी आया हैं कि भगवंत मान की जीत में भी पार्टी का कोई योगदान नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर उनकी खुद की छवि है। संगरूर के ग्रामीण इलाकों में मान की अच्छी पकड़ है।
पंजाब में आप के टूटने का ये है कारण
■ 2015 में पार्टी में सुप्रीमो कल्चर को गलत बता उसके खिलाफ आवाज उठाने पर दो सांसदों डॉक्टर गांधी और हरिंदर सिंह खालसा को पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
फिर स्टेट कैम्पेन कमेटी के सदस्य मनजीत सिंह ने भी पार्टी की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई तो पार्टी से अलग कर दिए गए।
■ 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य पार्टी अध्यक्ष सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी से निकाल दिया गया, तब उन्होंने अपने पार्टी बना ली।
■ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पंजाब प्रभारी बनाए जाने के बाद भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल के बीच सब ठीक हो गया और सुखपाल खैहरा को पार्टी विधायक दल के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया गया। इसके बाद विवाद और गहराता चला गया। खैहरा 9 विधायकों को साथ लेकर पार्टी से अलग राह पर चल पड़े।
■ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई नहीं होने से नाराज लुधियाना के दाखां के विधायक एडवोकेट एचएस फूलका ने भी इस्तीफा दे दिया।
जमानत तक नहीं बचा सके ये उम्मीदवार
बठिंडा से बलजिंदर कौर, जालंधर से जस्टिस जोरा सिंह, पटियाला से नीना मित्तल, अमृतसर से कुलदीप धालीवाल, श्री आनंदपुर साहिब से नरिंदर शेरगिल, फतेहगढ़ साहिब से बनदीप सिंह दूलों की जमानत जब्त हो गई। इसी तरह फरीदकोट से पिछलीबार सांसद रहे प्रो. साधू सिंह के अलावा लुधियाना से प्रो. तेजपाल सिंह, गुरदासपुर से पीटर मसीह, होशियारपुर से डॉ. रवजोत सिंह, फिरोजपुर से हरजिंदर सिंह काका और खडूर साहिब से मनजिंदर सिंह सिद्धू भी पार्टी की साख को नहीं बचा सके।
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