Tuesday 4 June 2019

क्या आप संत बाबा जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले के बारे ये जानते है, देखिए संत जी के जीवन के खास पहलु

संत जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले के जीवन के बारे में कुछ खास पहलु



 


संत बाबा जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले
संत बाबा जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले का जन्म 12 फरवरी 1947 में गांव रोड़े में हुआ था, जो कि मोगा जिले में है। संत जी के पिता का नाम जोगिंदर सिंह बराड था। वह एक किसान था और भिंडरांवाले जी उनसे बहुत प्रभावित थे। उनकी माता का नाम निहाल कौर था। संत जी की एक बहन थी और सात भाई थे, जिनमें से वो सबसे छोटे थे। संत जी पांच साल के थे, जब उन्होंने अमृत पान किया।

संत जी ने दमदमी टकसाल से अपनी विद्या प्राप्त की। एक साल सिक्खी का कोर्स पूरा करने के बाद, वह फिर से खेतीबाड़ी करने लगे। संत जी कम पढ़े थे, लेकिन उनकी स्मृति बहुत मज़बूत थी। वह हर रोज़ स्मृति से पाठ किया करते थे।

संत जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले का विवाह
संत जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले का विवाह प्रीतम कौर से 1966 में हुआ। उनकी दो संताने थे, ईशर सिंह और इंदरजीत सिंह। ईशर ने कहा था कि उसकी पिता राजनीती में नहीं मानते थे। नीती कपट से पैदा होती है, जब की धर्म उपदेश से पैदा होता है। वह हिंसा में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने युवाओं को अमृत छकने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका उद्देश्य यहीं था कि सिख धर्म भारत और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो। इसी कारण आज भी सिख लोग उन्हें याद करते है।


सभी धर्माें का आदर करने वाले
बहुत से लोगों को संत जी की बारे गलतफहमी थी। संत जी ने कहा था कि हर हिंदू, एक सच्चे हिंदू होना चाहिए और हर मुसलमान एक सच्चा मुसलमान होने चाहिए और इसी तरह हर सिख, एक सच्चा सिख होना चाहिए। मार्च 1983 में संत जी ने सिखों और श्री हरमंदिर साहिब पर हमले के बारे में सुना।

जब संत जी ने इस बारे में सुना, तो वे बहुत परेशान था। 1984 में यह खबर सच हो गई जब इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को श्री हरमंदिर साहिब और 37 गुरुद्वारों पर हमला करने के लिए कहा। सैकड़ों लोगों इस युद्ध में शहीद हो गए, उनमें से संत जरनैल सिंह जी भिंडरांवाले भी शामिल थे

लेकिन सैना और राजनीतिक पार्टियों को काफी समय तक इस बात की चिंता सताती रही थी कि संत जी इस हमले में शहीद नहीं हुए है, क्योंकि उनके पास उनकी शहीदी का कोई प्रमाण नहीं था, क्योंकि हमला इतना ज्यादा भयंकर था कि उसमें सैंकडों सिख श्रद्धालु शहीद हो गए थे।


निडर और शेर दिल
संत जी 6 फीट के लंबे रौबदार दबंग व्यक्तित्व के मालिक थे, वो साफ-साफ दबंग और निडर लहज़े में बात करने वाले शेर दिल इंसान थे, जिसे किसी का काई खौफ नही था, जिसकी बात पत्त्थर की लकीर थी। उनके एक इशारे पर हजारों लोग कुछ भी करने को तैयार रहते थे और उनके हुक्म को आंख मूंद कर मानते थे।

कैसे सुर्खियां में आए संत जी



1978 में 13 अप्रैल बैसाखी को संत जी के समर्थकों की निरंकारियों से झड़प हो गई, जिसमें संत जी के 13 समर्थक शहीद हो गए। इस घटना ने भिंडरांवाले का नाम अचानक सुर्खियों में ला दिया। सिख शिक्षण संस्था दमदमी टकसाल के इस 31 वर्षीय प्रमुख का नजरिया हमेशा कट्टर रहा। सिख धर्म के बारे में वह प्रभावशाली ढंग से बातें करते थे। उनके कहने पर लोगों ने बाल और दाढ़ी कटवाना बंद कर दिया। लोगों ने सिगरेट-शराब पीना बंद कर दिया था।

1947 में जन्में संत जी हमेशा सिख पहनावे कच्छेरा और ढीले कुर्ते में रहते थे। हथियार के नाम पर उनके पास सिख परंपरा के मुताबिक कृपाण और स्टील का एक तीर होता था। इस छह फुटा युवा की बातचीत का अंदाज बेहद आकर्षक था। गजब की निगाह, उनके सामने पलटकर सवाल-जवाब करने का तो सवाल ही नहीं था, रौहब ही कुछ ऐसा था।

अकाल तख्त से भाग सकते थे संत जी

जब संत भिंडरावाले दमदमी टकसाल से स्वर्ण मंदिर परिसर में पहुंच गए तो उनके पास लोगों की भीड़ लगने लगी थी। इसके बाद संत जी तब तक स्वर्ण मंदिर से नहीं निकले, जब तक वे शहीद नहीं हो गए थे। ऐसा कहा जाता है कि वो ऑपरेशन के समय अकाल तख्त से भाग सकते थे, लेकिन उन्होंने शहीदी का रास्ता चुना। क्योंकि पीठ दिखाकर भागना जंगलों में छुप जाना उनकी फितरत में नही था

उनकी बात को काटने की किसी में हिम्मत नहीं थी, उनकी एक छोटी सी हुंकार से सरकार के पसीने छुट जाते थे। उनके शौर्य का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनके चंद समर्थको को रोकने के लिए सेना की मदद लेनी पडी थी, वो अपने शेर दिल अंदाज़ के लिए दुनिया में विदेशों तक पहचाने लगे थे। इतनी कम उम्र में इतनी ख्याति प्राप्त कर लेना आम बात नही।


ऐसा शेर दिल इंसान सदी में दुनिया में एक आधा ही होता है, जिससे सरकारें कांपती हो और बडे से बडे नेता और अफसर भी जिसके आगे सिर झुकाते हो, ऐसा शेर दिल कोई सिख ही हो सकता है। उनकी लोकप्रिय्ता का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक दो साल पहले कश्मीर में पुलिस ने उनका एक फोटो उतार दिया था तब पुलिस को वहां कर्फ्यू लगाना पडा था तब जाकर स्थिति काबू में आई।

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