Thursday 12 December 2019

हद ही हो गई यार / बच्ची ने आंख भी नहीं खोली और सवाल उठने लगे, किसकी बेटी है

जींद के सिविल अस्पताल में डिलीवरी के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए बच्चा बदलने के आरोप


जींद. सिविल अस्पताल में बुधवार दोपहर को पैदा हुई एक नन्ही परी ने अभी आंखें भी नहीं खोली थीं। इससे पहले ही सवाल उठ गए कि उसके असली-माता कौन हैं। इसका पता लगाने को अब डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा। जिनकी गोद में नन्ही परी बैठी है उन्हें आशंका है कि लड़के के बदले लड़की उन्हें दे दी गई है। यह पूरा मामला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का है या फिर बेटे की चाहत का। इस सब का पता तो जांच होने व डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा। लेकिन इतना जरूर है कि नन्ही बिटिया के पैदा होते ही उसको हंसी-खुशी के साथ नहीं अपनाया जा रहा।

बेटी के जन्म के कुछ घंटे बाद शाम को अस्पताल में हुए हंगामे व नारेबाजी से हर कोई यह सोचने को मजबूर हो गया कि यह सब किस कारण हो रहा है। सिविल अस्पताल में रामराय गेट की रहने वाली ममता की हुई डिलीवरी के दौरान अस्पताल कर्मचारियों ने दो गलती की। पहली गलती ये कि सिजेरियन के तुंरत बाद एक महिला कर्मचारी ने बाहर आकर परिजनों को लड़का होने की सूचना दी।

यदि ऐसा ही था तो फिर ममता को बेटी क्यों सौंपी गई। यदि ऐसा नहीं था तो लड़का पैदा हुआ या लड़की इसकी तसल्ली किए बिना ही ओटी के बाहर इंतजार में बैठे परिजनों को क्यों बताया गया। दूसरी गलती ये कि ममता की दाखिल होने वाली पर्ची में पहले मेल पैदा होना लिखा गया। उसके बाद काटकर फीमेल लिखा गया। इसके अलावा रजिस्ट्रर में भी पहले मेल पैदा होने की एंट्री की गई और उसके बाद कटिंग कर फीमेल पैदा होना लिखा गया।

सिविल अस्पताल जींद की गायनोकॉलोजिस्ट डाॅ. नेहा शर्मा ने कहा कि बुधवार को सबसे पहला सिजेरियन ममता का ही हुआ था। बच्चा पैदा होते ही उन्होंने नर्स को सौंप दिया था। वे ते ममता को संभालने में लगी थी। उनके पास उस समय इतना टाइम नहीं होता कि बच्चे को देखे कि वह लड़का है या लड़की। 

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